प्याज खाया है क्या तुमने ?
अगर नहीं खाया है ,
तो देखा तो जरूर होगा।
कितनी परतें होती है उसमे ?
एक परत के खुलते ही
शायद लगे कि अंदर
और परतें नहीं होंगी।
होगी आलू जैसी या चीकू जैसी
जिसमे मात्र एक बाहरी आवरण होती है
अंदर कुछ नहीं होता है छुपाने को।
इसी ग़लतफ़हमी में रहते है अक्सर हम भी
कि एक बार में ही
हमने सामने वाले को जान लिया है।
कितना कुछ खोते हैं हम
अपनी इस गलतफहमी के वजह से ,
कितना कुछ टूट जाता है सामने वाले में
जब उसे गलत समझ लिया जाता है।
इंसान प्याज जैसा होता है
परत दर परत खुलता है।
ये परतें इंसान के ऊपर
समय और समाज लगाता है।
जैसे समय और परिवेश
एक कलि को प्याज बना देती है।
तुममें अगर बालपन बचा होगा
होगी और जानने की इच्छा,
तुम जरूर एक के बाद एक परतें खोलोगी।
पर पाओगी क्या ?
प्याज तो पहली परत में जो था
वही अंतिम परत में भी है।
कुछ भी बदला नहीं है
और न ही बदल सकता है।
वो तो तुम हो जिसने उसके बारे में
और जानने की कोशिश की।
तुम समर्पित हुई और समय दिया
इसलिए अब तुम पूरी तसल्ली के साथ
फैसले ले सकती हो।
अगर नहीं देखा है
प्याज तुमने
तो मेरी मानो
छोड़ो इन व्यर्थ की बातों को
आ जाओ मेरे साथ
हम मिलकर उगाएंगे प्याज
उसे छीलेंगे परत दर परत
थोड़ा प्याज को जानेंगे और
थोड़ा एक दूसरे को समझेंगे।
-प्रशांत
No comments:
Post a Comment
आप को ब्लॉग कैसा लगा जरूर लिखें यह विभिन्न रूपों में मेरा मदद करेगा।
आपके कमेंट के लिए अग्रिम धन्यवाद सहित -प्रशांत