मुश्किल लगता है इतनी लम्बी जिंदगी में,
किसी के लिए वक़्त के दो क्षण निकालना।
फिर भी मेरी माँ ने
जो भी जीवन जिया
जितना भी समय दिया
बस मेरे लिए दिया।
लोग अक्सर कहते हैं जन्म से पहले भी
9 महीने मेरे लिए समर्पित किया था उन्होंने
पर 3-4 वर्षों के बाद जब शायद पहली बार मैं
पूरी तरह होश में रहा होऊंगा
तब तक और शायद अबतक
मैं यह नहीं जान पाया कि इस दुनिया में जब लोग
एक-एक मिनट के बदले कुछ चाहते हैं।
माँ ने बिना कुछ चाहे
कैसे अपना सारा वक़्त मुझे दे दिया ?
परिवार,समाज,ममता
क्या रहा होगा कारण ?
जब उन्होंने मेरे लिए अपना
समय समर्पित करने का निर्णय लिया होगा ?
असंख्य कारणों में,
हजारों शब्दों में
कौन सा वह रूप लेकर मैंने उनसे उनका
समय मांगने की हिम्मत की होगी ?
या बिना मांगे ही मुझे मिला
वह सब जो शायद नहीं मिलता
अगर माँ कुछ और सोच लेती
मात्र एक पल को।
एक निर्णय कि
"मैं अपना सारा समय तुम्हे देती हूँ।"
एक क्षण में लेना।
जबतक मैं मना नहीं करता हूँ।
"वह अपना समय मुझे कैसे दे सकती है ?"
मैं नहीं पूछता यह सवाल।
पर समय की कीमत को
सफलता से जितनी बार मैंने जोड़ा
शायद मैं असफल हुआ हर बार।
माँ सफल हुई या नहीं हुई
यह तय माँ के अलावा कौन कर सकता है ?
मुझे उत्तर कब और कहाँ मिलेगा
यह समझना मेरी शक्ति से बाहर लगता है।
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सफाई विद्यालय : ग्राम्य मंथन के एक सत्र में लिखा गया |
कई बार ऐसा लगता है कि इतने साल बीत जाने के बाद भी तुमसे कभी बात नहीं हो पाई, तुम हो भी तो वैसी ही जिद्दी। सुबह जब सूर्य भी नहीं सोचता है कि अब जागने का समय हुआ है तब से तुम जग जाती हो और भंसाघर में सफाई शुरू कर देती हो और रात जब चाँद सोने को जाने लगता है तब करीब एक-डेढ़ बजे तुम सोने जाती हो। इस बीच में तुम सबका ख्याल रखने में इतना व्यस्त होती हो कि मैं कुछ बात करना चाहूँ भी तो कैसे करूँ यह सोचकर अगले दिन का इंतज़ार करता हूँ। मुझे कभी कभी लगता है कि सबसे तुम्हारे बारे में बातें करूँ और सबसे सुनूं। माँ प्रणाम।
Santh bhyaa❤
ReplyDelete❣️❣️❣️
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