उम्र के इस छोटे से पड़ाव पर
अक्सर लड़के भविष्य के बारे में सोचा करते हैं ,
सपने देखा करते हैं या
जिम्मेदारियां निभाया करते हैं।
मैं भी इन दोनों के बीच कहीं तलाश रहा था
जीवन के उद्देश्य को।
न जाने उपरवाले को क्या मंजूर था ,
इसी उम्र में तुमसे मिलना हुआ।
मुझे तुम्हारे संग बैठ चाँद और तारों की बातें करनी थी ,
भविष्य के लिए साझे सपने बुनने थे।
किन्तु तुमने जाननी चाही मेरी कहानी
यूँ तो मेरी कहानी में कुछ भी रोचक नहीं ,
फिर भी तुमने सुननी चाही तो मैंने सुनाई।
क्या थी मेरी कहानी ?
मैं अब तक जो जिया था ,
वो शब्दों में ढल आया था मेरी जुबानी
वो बचपन से लेकर जवानी के किस्से
जिंदगी के अच्छे-बुरे, साफ और गंदे हिस्से।
अंदेशा नहीं था सुनना क्यों चाहती थी तुम मेरी कहानी ?
सुनकर इसे मुझे परखने की कोशिश की
अपनी कहानी तुम्हे मैंने एक कविता की तरह सुनाई
और तुमने क्या किया ?
कुछ पल ही में अजनबी बना दिया !
आखिर मैं क्यों ऐसी कहानी सुनाऊँ जिसमे
मेरे व्यक्तित्व में मैं ही न झलक पाऊं ?
उसमे कितना ही बढ़िया नायक का कृत्य हो
या कितनी ही सुन्दर नायिका की बातें हो
या हो कितना ही खुश कहानी का अंत
तुम बतलाओ मुझे
आखिर क्यों मैं तुम्हे ऐसी कहानी सुनाऊँ
जिस कहानी में मैं मैं ही न रह पाऊं ?
मेरी कहानी में मैं कितना अच्छा हूँ
और कितनी बुरी है मेरी भावनाएं
अगर यह भी तुम निश्चित करोगी
तो तुम ही बतलाओ मैं क्यों सुनाऊँ ?
अंत में तुम्हे क्या याद रखना है
क्या मैंने कभी इस बात बात के लिए कहा है ?
या कहा है कि मेरी कहानी को तुम जरुर
लोगों को सुनाना पर मेरी नादानियों का जिक्र न करना।
तुमसे मिलकर तुम्हे जानने के लिए
क्या मैंने तुम्हारे गुजरे हुए कल का सहारा लिया है ?
नहीं न
मैं तो चाँद के सामने गुजरते बादलों से नाराज था
तुम्हारे चेहरे पर आते जाते भाव को पढ़ने की उधेड़बुन में था।
तुमने ही मेरे अनसुने सच सुनने की इच्छा जताई
मेरे जीवन के अच्छे पहलु सुनकर तुम प्रसन्न भी हुई ,
पर आखिर क्यों जैसे ही मैंने अपने हिस्से का दुःख सुनाया
तुमने आपत्ति जताई ?
मेरी कहानी जैसे ही मैंने तुम्हे सुनाई
वह केवल मेरी नहीं रही
यह जानते हुए भी
क्या कभी मैंने तुम्हे अपनी शर्ते बताई ?
मैं पूछता हूँ क्या हक़ है तुम्हे
मेरी कहानी सुनने का
जब तुम वो सब नहीं सुन सकती
जो मैं जी चूका हूँ और सुनाना चाहता हूँ ?
उम्र के इस पड़ाव पर जब लड़के
फरेब करना सीखते हैं
मैंने तो तुम पर भरोसा किया
तुम्हारे साथ मिलकर एक घर बनाना चाह रहा था
और तुमने मेरा भरोसा तोड़ दिया।
शुक्रिया
-प्रशांत
👌👌
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