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चित्र ट्विटर से |
किसकी चाहत नहीं होगी कि वह ऐसे घर में रहे ? लेकिन आदमी की उम्र बीत जाती है पर यह सपना सच नहीं होता है। (ध्यान दें कि कहीं ना कहीं कोई अवश्य रहता है ऐसे घरों में पर वह विश्व जनसंख्या का 1% भी नहीं होगा) फिर भी आदमी सपने सजाता है और हर एक दिन ऐसे गुजारता है यह मानकर कि जल्द ही वह अपने परिवार के साथ अपने सपनों के महल में रहने जाएगा। जिसके आगे लाल चटक रंगों वाला rhododendron (एक प्रकार का फूल ऊपर के चित्र से संदर्भ ) लगा हो या सुर्ख पीले रंगो वाला अमलतास का पेड़ लगा हो जिस पर रंग बिरंगे पंछी कलरव करें, गिलहरियां दौड़ भाग करें। घर के एक किनारे एक बेहतरीन चार चकिया गाड़ी पार्क हो और उसी गैराज में बाइक व साइकिल भी हो। वैसे यह आधुनिक जीवन का सच है पर फिर अगर मोटे तौर पर भी कहूं तो अब हर गांव में कम से कम एक-चौथाई घरों में बाइक तो लगा रहता ही है। साइकिल तो हर दूसरे घर में उपलब्ध है यह बात अलग है कि प्रयोग में काफी कम है। कुछ घरों में चार चकिया भी जगह ले चुका है। खैर फिर भी यह बात उस सपने से मेल नहीं खाती है क्योंकि जिनके पास यह है वह भी सपने देख रहे हैं "छोटा सुंदर घर हो अपना"। घर के पीछे थोड़ा सा खाली जगह हो जिसमें वह कुछ बागवानी कर सके या शाम को क्वालिटी टाइम बिता सकें। घर का इंटीरियर कैसा होना है इस पर भी आदमी सोचता रहता है। किचन कैसा होगा, मास्टर बैडरूम कैसा होगा ? छत पर डिजाइन कैसा होगा, डाइनिंग टेबल कहां लगा होगा आदि आदि। ठंडे व गर्म पानी की सुविधा होनी चाहिए। बिजली से चलने वाले सारे उपकरण होने चाहिए। कुल मिलाकर वर्ल्ड क्लास सुख सुविधाओं से लैस घर का सपना आदमी सजाता है। आदमी इस तरह की घर की कल्पना करने के साथ ही कुत्ता या बिल्ली पालने का भी सपना देखता है। pet पालना बुरा नहीं है और ना ही उन्हें पालने का ख्वाब सजाना परंतु। यह क्या बात हुई कि अभी नहीं पाल सकते हैं जब वह सपनों का घर बनेगा या खरीदा जाएगा तब ही पालेंगे? खैर मानव मस्तिष्क और अचेतन मन में कल्पना ओं का भंडार है और अगर ऐसा है ही तो हम क्या करें?
अगर सपने का ही बात करना है तो कभी-कभी घर के साथ पड़ोसियों तक के सपने आदमी देख लेता है। संभव हो यह सब कहानियां या फिल्मों से भी प्रभावित हो, आधुनिक समय में प्रचार यानी एडवर्टाइजमेंट की अलग ही महिमा है।
बहरहाल हम इस बात पर थे कि आज के दौर में हर किसी का सपना होता है कि वह ऐसा घर खरीद सके, रहना ज्यादातर का सपना नहीं होता है पर जो भी हो यही से शुरू होता है पैसे, संसाधन और लालच का कुचक्र। आदमी भले कह दे कि वह व्यापार कर रहा है, मेहनत कर रहा है या कुछ और। किंतु मन मस्तिष्क पर वह सुंदर घर अंकित हो चुका होता है। आदमी भी कितना चालाक है अपने सपने पूरे करने हेतु दूसरे आदमी को भी फसा लेता है।दूसरा आदमी अपने सपने पूरे करने हेतु इतना उत्तेजित रहता है कि वह यह भूल जाता है कि वह सपने के बदले गहरे चक्र में फसने वाला है। लोन, उधार या कर्ज इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण है। यहां पर जहां तक मैं समझ सकता हूं तो लिखूंगा वाक्य "हर चमकती चीज सोना नहीं होता है" सत्य लगता है। आदमी को सपने का घर सुकून की जिंदगी बिताने के लिए चाहिए, वह उसकी चमक धमक में ऐसा खोता है कि वह भूल जाता है कि इस चमक-दमक के पीछे काफी गहरा अंधेरा है। लेकिन आदमी यह जानकर भी उसके पीछे भागता है। आखिर क्यों?
क्योंकि आशा की एक किरण हमेशा से ही निराशा के काले बादलों को हराता आया है।
क्योंकि आदमी को लगता है अगर मैं सपना देख सकता हूं तो सच भी कर सकता हूं।
क्योंकि आदमी को जीवन जीने का सलीका नहीं मालूम।
वैसे आपको क्या लगता है?
आपका प्रशांत 🤔
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मेरा घर सामने से |
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