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हरा नमक : फोटो kafaltree.com से |
हरे पुदीने की नमक का वह स्वाद अभी भी जिह्वा पर जैसे हो ! जब भी ध्यान आता है तो लगता है कितने भाग्यशाली हैं पहाड़ के लोग जो यह हरा नमक को खीरे, ककड़ी या दही, छाछ और मंद बहती पवन के साथ स्वाद ले लेकर खाते हैं। मैंने कहीं पढ़ा कि इसे पहाड़ वाले 'हरिया नूण' कहते हैं। जब मैं हिमाचल प्रदेश में था तो गांव वालों ने खेत से तोड़कर ताजे खीरे खाने को दिए थे, हमने खाना शुरु कर दिया बिना नमक या कुछ और मांगे तो एक औरत ने हमें रुकने को कहा। मैं तब तक आधा खीरा खा चुका था क्योंकि खीरे का स्वाद भी अद्भुत था। रोकने पर मैं थोड़ा खिन्न ही हुआ था। थोड़ी ही देर बाद घर के पीछे से एक औरत पुदीना तोड़ लाई और सिल बट्टे पर नमक मिलाकर पीसने लगी, मैंने पुदीने को नमक के साथ एक हो जाने की प्रक्रिया देखी और नमक को हरा होते हुए भी देखा है मैंने।
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सिलबट्टा : तस्वीर साभार गांव से |
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तस्वीर साभार दैनिक जागरण से |
उस वक्त तो ध्यान में अधखाया खीरा था पर अभी जब उस वक्त को याद करता हूं तो पाता हूं की हरा नमक बनाने की प्रक्रिया भी उतनी ही अद्भुत थी जितना कि उसका स्वाद है। नूण तैयार करने के बाद उन्होंने हमें दिया और उसके बाद तो मैं खीरे का स्वाद ही भूल गया। सिलबट्टा या लोड़्ही पाटी (जैसा हमारे घर में कहा जाता है) का उपयोग तो हमारे घर में भी होता आया है और सच कहता हूं कि आधुनिक मिक्सर से ज्यादा स्वाद भरता है यह। न जाने क्या है इन पत्थरों में कि यह जुड़ जाता है सीधा स्वाद तंतुओं से।
यूं तो हम साधारण लोग दो-तीन तरह के नमक का प्रयोग करते हैं, एक साधारण समुद्री नमक, दूसरा फैक्ट्री में संशोधित आयोडीन नमक और तीसरा सेंधा नमक। लेकिन पहाड़ वालों ने क्या खूब बनाया है हरा नमक। वैसे सबसे आसान तरीका तो है पुदीने और नमक को पीसकर बनाना लेकिन इसके अलावा हरी मिर्ची लहसुन के पत्ते अदरक धनिया को पीसकर भी नमक तैयार किया जाता है जिसका स्वाद अवर्णनीय हो जाता है और लोग चटकारे लेकर खाते हैं। पहाड़ में पलायन की समस्या काफी गंभीर है परंतु शायद यह हरा नमक का स्वाद उनको अपने जड़ों को भूलने नहीं देता है।
हरे पुदीने की नमक पहाड़ की रसोई की एक अभिन्न अंग है। उत्तराखंड और हिमाचल की पहाड़ों में जब औरतें लकड़ियां बिनने जाती है या खेतों पर काम करतीं हैं तो एक पोटली में हरा नमक और रोटी लेती जाती है।यह उनका एक समय का भोजन होता है। पहाड़ की औरतें बहुत मेहनती होती हैं पर शायद यह हरा नमक के साथ मीठी रोटी खाकर वे थकान को भूलकर उसी प्रेम से अपने काम में लग जाती है जितने प्रेम से वें हरिया नूण तैयार करतीं हैं।
धन्यवाद ❣️
प्रशांत
आपने तो हिमाचल के गांव की सैर करा दी।
ReplyDeleteहमे एक और बार जाना चहिके उस गांव में।
शुक्रिया । चल लेंगे कभी भी
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