जब सब कुछ हो जाएगा ठीक
तो मैं भी मुस्कुरा लूंगा
कुछ गाने सुन लूंगा
खुशी के गीत गा लूंगा
समय निकालकर तुमसे यूं ही बतिया लूंगा.
जब सब कुछ हो जाएगा ठीक
तो मैं भी यारी निभा लूंगा
किसी को याद करके चुपके से मुस्कुराउंगा
किसी राहगीर को रोक हाल-चाल पुछुंगा
थोड़े किस्स सुनूंगा-सुनाउंगा.
जब सब कुछ हो जाएगा ठीक
तो मैं भी दिवाली में दीप खुशी के जलाऊंगा
होली में ना रखूंगा मन को बेरंग
सालभर से रक्षाबंधन का इंतजार करूंगा
केवल अपने घर पर नहीं
पड़ोसियों के घर में भी त्यौहार की खुशियां बिखेरुंगा.
जब सब कुछ हो जाएगा ठीक
तो मैं भी अच्छी बातें करूंगा
ढलते सूरज को देखुंगा
सोने से पहले आसमान निहारुंगा
लकड़ियां इकट्ठे कर खुद ही खाना बनाऊंगा
मां, तेरे संग खाउंगा.
जब सब कुछ हो जाएगा ठीक
तो मैं भी ठीक हो जाऊंगा.
जब सब कुछ हो जाएगा ठीक
तो मैं भी मछलियां पकड़ने जाऊंगा
नदी किनारे टहलुंगा
गायों को चराते समय बंसी बजाउंगा
लेन-देन से ऊपर उठुंगा
देने में ना कतराउंगा.
जब सब कुछ हो जाएगा ठीक
तो मैं भी किसी को तंग नहीं करूंगा
जो जैसे है वह वैसे ही रहने दूंगा
बेख़ौफ़ गलतियां करूंगा
ख़ुशी से माफ कर दिया करूंगा
जब सब कुछ हो जाएगा ठीक
तो मैं भी धैर्य रखुंगा
इंतजार करूंगा...
यह जानते हुए कि कुछ भी ठीक नहीं होने वाला है या फिर शायद जो हो चूका है वो भी ठीक ही हुआ है मैंने अपने जीवन को जीया है . सब कुछ ठीक हो जायेगा ऐसा सोचकर शायद जीवन को जी पाना अजीब नहीं होता है बल्कि उम्मीद बनी रहती है जो शायद टूट जाना भी बेहतर हो . ठीक सबकुछ हो न हो पर जब समय ख़त्म होने लगता है तो एक क्षण को महसूस होता तो है कि हम भी कहाँ उतने ठीक हो पाए थे जितना कि होना चाहिए था .
-प्रशांत
बहुत खूब👌❣️
ReplyDeleteशुक्रिया 🌻🌻
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