Sunday, December 10, 2023

पेट नहीं होता तो भेंट नही होता

कोई कितना भी चाहे कि सूरज पूरब से न उगे और पश्चिम की ओर न बढ़े किंतु ये हो नहीं सकता है वैसे ही एक सवाल है जो रोज़ आ जाता है सामने, शायद अब ज्यादा रुबरु होता हूँ जीवन से इसलिये ये पापी पेट का सवाल आ जाता है सामने। 
ये सवाल गणित या विज्ञान के सवालों की तुलना में ज्यादा संतोषजनक उत्तर तो शायद ही कभी दे पाता है किंतु इस जीवन के दूसरे अन्य महत्वपूर्ण सवालों की तरह कम से कम रहस्यमई तो नहीं है जो कभी भी मुंह उठाके नहीं चली जाती है कि जीवन का उद्देश्य क्या है या जीवन का लक्ष्य अगर मौत नहीं है तो क्या है ? 
जो भी जीवित उसकी तरह मेरा भी सवाल है पेट भरना कैसे है ? ये सवाल अर्थशास्त्र से जुड़ा हुआ नहीं है, न ही विज्ञान से जुड़ा हुआ है, दर्शनशास्त्र का पता नहीं है ।  कुछ समय पहले तक जैसा लगता था एक समय कोई न कोई शास्त्र इस सवाल का उत्तर तो देता होगा। बचपन से एक उम्र तक सब इसी सवाल का उत्तर ढूंढते हैं ये पता चलने में मुझे वक़्त लगा खैर ये सवाल सब के लिए मौजू है लेकिन सब के लिए एक जैसा नहीं है।

कैसे बतलाउँ कि ये दुनियादारी किसकदर मुश्किल है। मैं अगर अपनी बात भी करूँ तो कभी आसमान जीतने की ख़्वाहिश रखने वाला मन जब से ये समझ गया कि भुख दुनिया को चलाती है सोच में पड़ जाता हूँ और ध्यान हो आता है कि ये बने बनाए रिश्ते समाज का जाल अचानक से बिखर जाएगा । अगर गलती से ही पापी पेट के सवाल का हल किसीको मिल गया जो कि कुछ लोगों को मिल जाया करता है तो दुनिया को कितना सहना पड़ता है। ये जो मैं कभी अच्छा लगता हूँ कभी  बुरा लगता हूँ वह इस पेट पे निर्भर करता है । साहित्य से लेके प्रेम की बातें और दिल दिमाग़ के सभी भूत -वर्तमान -भविष्य की कल्पनायें पेट से शुरू होती है और वहीं खत्म। जैसे भालुओं का नाच नचाने वाला मदारी जाते वक़्त कह देता है पेट नहीं होता तो भेट नहीं होता मैं भी ये ध्यान करता हूँ कि हम सब के लिए भी यही सच है।

प्रशांत 💚






No comments:

Post a Comment

आप को ब्लॉग कैसा लगा जरूर लिखें यह विभिन्न रूपों में मेरा मदद करेगा।
आपके कमेंट के लिए अग्रिम धन्यवाद सहित -प्रशांत

Popular on this Blog