Monday, May 18, 2020

रिश्तों के बीच हिंसा : थप्पड़ और अम्बिलि से सीख

कल कुछ मित्रों के साथ ऑनलाइन वार्तालाप हो रहा था। कुछ मित्रों से मैं पहले कभी मिला भी नहीं था और कुछ से आज पहली बार बात कर पा रहा था। हम आपस में अपने मन की बात साझा कर रहे थे। उसी क्रम में करनाल से शिवानी ने एक कहानी सुनाई, जिसे सुनकर मुझे एहसास हुआ कि वह कहानी नहीं समाज का सच है। उस कहानी का नाम है बबलू की भाभी।
कहानी में बबलू 8-9 साल का बालक है, वह अपने भैया और भाभी के साथ किसी गांव में रहता है। उसके भैया कमाते हैं और दारू पीते हैं। वह अक्सर घर में पी कर आता है और बबलू की भाभी को मारता है। एक रात जब वह आया तो उसने पूछा आज खाने में क्या बना है? बबलू की भाभी ने कहा- वही जो रोज बनता है,रोटी और सब्जी। इतने में वह गुस्सा हो गया और अपनी पत्नी पर हाथ उठा देता है, आसपास जो मिलता है उससे मारने लगता है। तभी बबलू बीच में आ जाता है और भैया से कहता है आप भाभी को मत मारिए। उसके भैया उसे धक्का देते हैं और वह दूर जाकर गिरता है। बबलू के भैया बाहर चले जाते हैं। अगले दिन जब अपने स्कूल से लौटता है तो उसकी भाभी उससे पूछती है कि तुम कल भैया को रोकने क्यों आए? बबलू ने जवाब दिया - स्कूल में टीचर ने बताया कि हर आदमी स्वतंत्र है और हमें हर अच्छे आदमी से प्रेम करना चाहिए, उनका ख्याल रखना चाहिए। मुसीबत में उनकी मदद करनी चाहिए। भाभी आप अच्छी हैं ना, मेरा ख्याल रखती हैं मेरे लिए खाना बनाती है तो मैं आपकी मुसीबत में क्यों ना साथ दूं? भाभी ने फिर पूछा कि सब तो तुम्हारे भैया जैसे हो जाते हैं बड़े होकर? क्या जब तुम बड़े हो गए तो तुम ऐसा नहीं करोगे? बबलू ने जवाब दिया कि नहीं भाभी मैं ऐसा नहीं बनूंगा। मैं सबके साथ प्यार से बात करूंगा, मारपीट नहीं करूंगा।
तो यहीं पर कहानी खत्म होती है। पर शिवानी ने कहा कि उसे यह कहानी सुनकर रोना आ गया था। बबलू की उम्र ज्यादा नहीं थी पर उसने कितना सहा और कैसी हिम्मत दिखाई। वास्तव में हम सब यह कहानी सुन हैरान थे, पर सोचने वाली बात यह है कि बबलू का बालमन जो स्कूल में सिखाई अच्छी बातों को अपने जीवन में उतारने को तैयार था, क्या उसके जीवन में रोज घट रही इस घरेलू हिंसा से प्रभावित नहीं होता होगा?
इसका उत्तर है बबलू का बाल मन जरूर प्रभावित होता होगा, भले ही वह अच्छी बातों को सीखने का प्रयास करें एवं अच्छा व्यवहार करें। किंतु उसके बचपन के दिनों में यह सब उसे जिंदगी भर याद रहने वाला है।
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चित्र www.wikipedia.com से साभार

मैंने कुछ दिनों पहले दो फिल्में देखी थी। एक फिल्म थी थप्पड़ जो हाल ही में रीलिज हुई है जिसमें तापसी ने एक गृहणी अमृता का अभीनय किया है। दूसरी थी मलयालम फिल्म अंबिली।थप्पड़ में कुछ दृश्य ऐसे थे जिसने मुझे बबलू की कहानी से जुड़ने में मदद किया। जैसे उसमें एक नौकरानी थी जिसे उसका पति लगभग हर दिन पीटता था और यह दृश्य भारत के हर गांव का दृश्य है। लगभग 90% घरों में औरतों पर इस तरह का अत्याचार किया जाता है।हां, यह भी सच है कि अधिकतर लोग अनपढ़ होते हैं और महिलाएं सहती जाती है कई कारणों से। दूसरा दृश्य है जब अमृता पर उसका पति हाथ उठा देता है। वह अनजाने में किया काम लगता है और परिवार तथा समाज के लोग अमृता से यह अपेक्षा रखते हैं कि वह इस घटना को भूल जाए किंतु वह नहीं मानती है। वह कहती है कि 'हां, एक थप्पड़ ही पर वह नहीं मार सकता'। मुझे लगता है कि पति पत्नी के बीच जब हर बात आपस में बात करके डिसाइड होता है तो पत्नी को पीटना केवल पति कैसे डिसाइड कर सकता है? हां गुस्सा आना लाजमी है क्योंकि यह मानव स्वभाव है पर जब प्रेम में consent जरूरी है तो गुस्सा में क्यों नहीं? बढ़ते हैं अगले दृश्य की ओर क्योंकि ऊपर का प्रश्न कोई हल नहीं दे सकता है। एक दृश्य में विक्रम (अमृता का पति) का सीनियर उसे बुलाकर कहता है कि अमृता पर हाथ उठाना तुम्हारी गलती थी। क्या तुम मुझ पर हाथ उठाते या जिसने तुम्हारी प्रमोशन रोकी थी जिससे तुम पूरी तरह से गुस्सा थे, उस पर हाथ उठाते उस वक्त?
यह सही पूछा उसने क्योंकि यह संभव नहीं दिखता है कि वह अपने सीनियर पर हाथ उठाता।शायद इतना पढ़ा-लिखा होने के बाद भी उसके मन में यह बात बैठी थी कि औरत तो कमजोर होती है। वह जानकर हाथ उठाता तो उस नौकरानी के पति जैसे असंख्य लोगों और उसमें ज्यादा फर्क नहीं रहता पर उसने अनजाने में अमृता पर हाथ खाया था। तो मैं कह सकता हूं कि कहीं ना कहीं पेरेंटिंग और सोशल स्ट्रक्चर , सामाजिक व्यवस्था ने उसके बाल मन में यह बात बैठाई थी जैसा कि बबलू के मन में था।
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चित्र www.wikipedia.com से साभार 

दूसरी फिल्म जो इस घटना को मुझे समझने में मदद किया वह मलयालम फिल्म "अम्बिलि" थी। इसको subtitles के सहारे देखा था मैंने। कहानी है अम्बिलि नाम के एक अनाथ की जिसके माता पिता की मृत्यु बचपन में हो जाती है। सारा गांव अम्बिलि से प्रेम करता है और हल्का फुल्का हंसी मजाक भी। अम्बिलि को कोई मानसिक बीमारी ही जिसकी वजह से वह थोड़ा बच्चों जैसा व्यव्हार करता है। उसे अपने बचपन के दोस्त बॉबी से बहुत ज्यादा लगाव है क्यूंकि उसके साथ उसकी बचपन की यादें जुडी है। बॉबी गांव से बाहर पढता है और एक प्रसिद्द cyclist बन चूका है पर सबसे पहले उसे साइकिल दिया था अम्बिलि के पिता ने। अम्बिलि का लगाव जितना बॉबी से उतना किसी और से नहीं है किन्तु बॉबी अम्बिलि को पसंद नहीं करता है। अम्बिलि और बॉबी की बहन एक दूसरे को चाहते है ,यह बात जब बॉबी को पता चलता है तो वह अम्बिलि पर हाथ उठा देता है,उसे पीटता है किन्तु अम्बिलि इस घटना का जिक्र किसी से नहीं करता है। वह इस घटना को भूल जाता है और बॉबी से पूर्ववत ही प्रेम करता है। उसका बॉबी से लगाव कम नहीं होता है।
अम्बिलि ऐसा क्यों है? वह बॉबी से इतना प्रेम कैसे कर सकता हैं? यह समझना भी जरुरी है। आखिर क्या ऐसा है जो एक व्यक्ति को किसी पर हाथ उठाने को प्रेरित करता है और वह उन दोनों के बिच के रिश्ते में जीवन भर के लिए दरार डाल देता है। अमृता विक्रम से वापस से वैसा ही प्रेम क्यों नहीं कर पाई जैसा वह पहले करती थी ? विक्रम को क्यों नहीं लगा कि उसने हाथ उठाकर गलती की? वहीँ दूसरी ओर अम्बिलि ने तुरंत ही वह सब भुला दिया,गम भूलकर बस प्रेम को आगे बढ़ाया ? क्या यह सब बालमन में अंकित होता है? क्या parenting और सामाजिक परिवेश भी अपनी भूमिका निभाती है? जो भी हो हमें मिलकर इनके कारणों का पता लगाना होगा।

हमेशा की तरह सुझावों का स्वागत है
प्रशांत


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